MOTIVATIONAL STORY: किसी ने बड़ी अच्छी बात कही है कि आप अच्छे समय से ज्यादा अच्छे इंसान से रिश्ता रखिए क्योंकि अच्छा इंसान अच्छा समय ला सकता है, लेकिन याद रखना अच्छा समय कभी अच्छा इंसान वापस नहीं ला सकता।
एक बड़ी छोटी सी कहानी है, भगवान गौतम बुद्ध की और उनके शिष्य की
भगवान गौतम बुद्ध के मठ में यह नियम था, कि जब भी उनका कोई शिष्य बुद्धत्व को प्राप्त हो जाता था तो उससे कहते थे कि एक दिशा में चले जाओ और उस में जाकर के वो जगह बताते थे। वहां जाओ, जाकर के रहो और आसपास के लोगों का ज्ञान वर्धन करो, उनकी जो आत्मा है, उसको जागृत करो, उनकी चेतना को जागृत करो, प्रयास करो उन्हें सद मार्ग पर लाने का।
शिष्य का घमंड
उनका एक शिष्य था जो छ आठ साल से वहां मठ में रह रहा था। तपस्या कर रहा था और एक दिन वह परेशान हो गया कि मेरे गुरुदेव ने मुझे अब तक आदेश क्यों नहीं दिया कि जाकर के प्रवचन करो यहां से चले जाओ अपना खुद का जो है आश्रम बनाओ इसी बात पर नाराज होकर के वह भगवान गौतम बुद्ध के पास गया और जाकर के कहने लगा कि गुरुदेव मेरी तपस्या में ऐसी क्या कमी रह गई।
क्या मैंने ज्ञान अर्जित नहीं किया कि अब तक आपने मुझे आदेश नहीं दिया कि जाओ जाकर के दूसरी जगह पर जाकर ज्ञान बांटो क्या मैंने ज्ञान अर्जित नहीं किया क्या मैंने बुद्धत्व प्राप्त नहीं किया। गौतम बुद्ध ने उसे कहा कि सुनो तुम्हें थोड़ा और समय लगेगा यही समय बिताओ तो वह चिढ़ गया कहने लगा गुरुदेव मतलब आपके ज्ञान में कमी रह गई आप मुझे ज्ञान नहीं दे पाए।
भगवान गौतम बुद्ध
भगवान गौतम बुद्ध को लग गया कि ये समझेगा नहीं अब इसलिए गौतम बुद्ध ने कहा ठीक है कल सुबह पूर्व दिशा में गांव है वहां जाना और वहां से भिक्षा लेकर के वापस आना पूरा दिन वहीं बिताना और कोशिश करना वहां के लोगों को थोड़ा ज्ञान बांटने की और मुझे आकर के बताना कि अनुभव कैसा रहा।
वह शिष्य बड़ा खुश हुआ उसको लगा कि बस अब तो बात बन गई अब तो मुझे आदेश मिल गया। वह गया सुबह-सुबह उस गांव में भिक्षा मांगने के लिए पूर्व दिशा में। शाम में जब वह आया तो उसको पट्टी बंधी हुई थी, हाथ पैर पर चोट के निशान थे। भगवान गौतम बुद्ध ने उसे देखा और पूछा कि ये क्या हाल बना लिया और गौतम बुद्ध ने उसको मलहम किया व दवाई दी फिर तब उस शिष्य बताया कि आपने कैसे गांव में मुझे भेज दिया।
वहां पर जब मैंने भिक्षा मांगी तो लोग मुझे गालियां देने लगे भगाने लगे डांटने लगे धूतकरने लगे। बस एक व्यक्ति ने मुझे वहां पर भिक्षा दी और उसने भी जमीन पर फेंक कर के भिक्षा दी और कहा कि ले जाओ इसको। इतने बुरे गांव में जहां लोग अज्ञानी है उनके पास आपने मुझे भेज दिया कि ज्ञान बांटो। आप मुझे कल किसी और गांव में भेजना मैं जाकर के ज्ञान वहां देकर के आता हूं। भगवान गौतम बुद्ध ने मुस्कुराया, उन्हें तो पता था कि ये खुद कुछ कर नहीं पाएगा। अगले दिन भगवान गौतम ने उससे कहा कि ठीक है तुम कहीं और चले जाना लेकिन एक दिन के बाद जाना। एक दिन और आश्रम में मठ में रुके रहो।
धैर्य का काम
अबकी बार उन्होंने अपने किसी दूसरे शिष्य को उसी गांव में भेजा। जहां इसको भेजा था और शाम में जब वह शिष्य आया तो उसकी भी वही हालत थी। उसकी भी जो है खस्ता हालत थी उसके भी हाथ पैर में चोट लगी हुई थी। भगवान गौतम बुद्ध ने पहले वाले शिष्य के सामने दूसरे से पूछा कि हुआ क्या। तो उसने कहा प्रभु आपने जिस गांव में मुझे भेजा था। वहां के लोग बड़े भोले हैं भिक्षा दे ही नहीं रहे थे। एक व्यक्ति ने मुझे जमीन पर फेंक कर के भिक्षा दी। मैंने स्वीकार कर ली और उसे आशीर्वाद दिया कि तुम्हारा कल्याण हो तो चौक गया और मुझसे कहने लगा कि आप गजब इंसान है। आपको मैं जमीन पर फेंक कर के भिक्षा दे रहा हूं और आप मुझे कल्याण हो का आशीर्वाद दे रहे हो तो मैंने उससे कहा कि मैं तो अपना कर्तव्य निभाऊंगा। आप भी बड़े दानी है आपने कम से कम मुझे दान तो दिया तो मेरा फर्ज बनता है कि मैं आपको आशीर्वाद दूं कल्याण हो आपका।
ऐसा कहने के पश्चात बाद में जब मैं वहां से निकल रहा था तो मैंने देखा कि एक बच्चा उस गांव में बीमार था। मैं जंगल में गया और वहां से जड़ी-बूटी लाने के लिए जब मैं आ रहा था तो जंगल के लोगों ने मुझे कबीले वालों ने पकड़ लिया और कहने लगे जड़ी-बूटी कहां ले जा रहे हो। मैंने उनसे निवेदन किया विनंती की कि मुझे छोड़ दो एक छोटे बच्चे की मदद करनी है, उसके लिए दवाई ले जा रहा हूं। तब जाकर उन्होंने मुझे आने दिया। जब मैं गांव में आकर के उस बच्चे की मलहम पट्टी कर रहा था, तो गांव वाले मुझ पर हमला करने लगे। तब उस एक मात्र दानी व्यक्ति ने जिसने मुझे जमीन पर फेंक कर के भिक्षा दी थी। उसने गांव वालों को रोका और कहा कि यह ठीक व्यक्ति है इसको काम करने दो। जब मैंने जड़ी-बूटी लगाई तो बच्चा ठीक हो गया। पूरे गांव वाले जो हैं मेरे लिए तालियां बजाने लगे और कहने लगे कि कल फिर आइएगा।
परिस्थिति को देखने का नजरिया
गुरुदेव मुझे कल फिर उसी गांव में भेजिएगा बड़े भोले भाले लोग हैं समझते नहीं हैं बस प्यार बहुत है। अबकी बार थोड़ा और प्रयास करूंगा उन तक थोड़ा और प्यार पहुंचाने का, ज्ञान पहुंचाने का। वह ज्ञानी तो हैं लेकिन बस अनजान व्यक्ति से बात करने में डरते हैं वो। जो पहला शिष्य था जो एक दिन पहले उस गांव में गया था। वो सुन रहा था और समझ रहा था भगवान गौतम बुद्ध के चरणों में गिर गया। कहने लगा देव कमी मुझ में ही थी आपने ज्ञान तो बहुत सारा दिया लेकिन मैं आचरण में नहीं ढाल पाया। अपने अहंकार को ऊपर रखा और उसी गांव के लोगों को पहचान नहीं पाया। वहां से मार खाकर चला आया मार तो इन्होंने भी खाई लेकिन इनका अहंकार मिट चुका है और यह समझ चुके हैं कि लोग भोले भाले हैं हमें उनसे अलग तरीके से व्यवहार करना होगा अपने ज्ञान को आचरण में ढाल कर के पहुंचाना होगा।
छोटी सी कहानी जिसका सार
कहानी का सार ये कहता है कि अच्छा इंसान बनने पर ध्यान दीजिए अच्छा समय अपने आप चला आएगा। हम अच्छा समय लाना चाहते हैं लेकिन अच्छा इंसान नहीं बनना चाहते। सारी कमी सारी गड़बड़ बस यही हो जाती है।